Frequently Asked Questions About Cerebral Palsy In Hindi

सेरेब्रल पालसी के बारे में कुछ सवाल एवं उनके जवाब

प्रश्न 1 : सेरेब्रल पालसी क्या है ?

उत्तर: सेरेब्रल पालसी एक बीमारी नहीं है, बल्कि नसों एवं तत्रिकाओं से सम्बधिंत समस्याओं का एक समूह है। जिसके कारण बैठने, उठने एवं चलने-फिरने में समस्या होे जाती है साथ ही साथ अन्य चिकित्सीय समस्याएं जैसे- दौरा पड़़ना (40 प्रतिषत), बौद्धिकता में कमी (30 प्रतिषत), बोलने की समस्या (40 प्रतिषत),सुनना ( 20 प्रतिषत),देखना (30 प्रतिषत), अनुभूति और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो सकती है।

प्रश्न 2 : यह कैसे होती है ?

उत्तर: यह नवजात शिशु के अविकसित और विकासषील मस्तिश्क में क्षति के कारण होता है। मस्तिष्क में हुई क्षति स्थिर एवं अप्रगतिषील होती है, जो कि जन्म से पूर्व या जन्म के 2.5 वर्श तक कई कारणों से हो सकती है।

प्रश्न 3 : यह क्षति किस प्रकार होती है ?

उत्तरः यह मस्तिश्क क्षति गर्भ में किसी प्रकार के संक्रमण, माॅ में थायरॅायड की कमी, माॅ को विशैली दवाओं के सेवन, मस्तिश्क ज्वर (एन्सेफलाइटिस ), जन्म के समय आॅक्सीजन की कमी, तेज पीलिया, सिर में चोट लगने से हो सकती है। जन्म के समय नवजात शिशु का कम वजन होना, समय से पहले जन्म (ढ32 सप्ताह) और जुड़वा बच्चों में दूसरे बच्चे सें सेरेब्रल पालसी की संभावनाये अत्याधिक होती है। किन्तु अधिकतर मामलों में सही कारणों का पता नही चल पाता है। इनमें से जेनेटिक गड़बड़ी एक महत्वपूर्ण कारण होता है।

प्रश्न 4 : क्या सेरेब्रल पालसी से प्रभावित बच्चों में होने वाली समस्याओं की तीव्रता स्थिर रहती है ?

उत्तर: सेरेब्रल पालसी में मस्तिश्क में होने वाली क्षति स्थिर रहती है परन्तु षरीर में होने वाली भिन्न-भिन्न षारीरिक परेषानियों की तीव्रता घट / बढ़ / स्थिर रह सकती है यह इलाज के तौर तरीके / वातावरण/चिकित्सीय देखभाल पर निर्भर करता है ।

प्रश्न 5 : हम इसे कैसे पहचान सकते हैं ?

उत्तर: यदि नवजात शिशु को जन्म के समय कोई भी उच्च जोखिम कारक जैसे वजन का बहुत कम होना, समय से काफी पहले पैदा होना, माॅ को समय से ना पहचानना, गर्दन का ना रुकना, समय से ना पलटना, घुटने के बल पर ना चलना, लार टपकना एंव उत्तेजित करने पर असामान्य प्रतिक्रिया होती है तो वो बच्चा सेरेब्रल पालसी से प्रभावित हो सकता है।

प्रश्न 6 : क्या सेरेब्रल पालसी की पहचान 6 माह की उम्र मे भी किया जा सकता है ?

उत्तरः यदि उम्र के साथ बच्चा उतना विकास नहीं कर रहा है जितना होना चाहिये और उसे अन्य संबधित परेषानियाॅ भी हैं तो सेरेब्रल पालसी की संभावना काफी ज्यादा है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रख कर 6 महीने की उम्र में भी इसकी पहचान हो सकती है।

प्रश्न 7 : सेरेब्रल पालसी की पहचान कम उम्र में कर लेने का क्या महत्व है ?

उत्तर: दो साल की उम्र तक मस्तिश्क विकासषील अवस्था मे रहता है और सुधार के अवसर अधिक होते हैं, यह विकासषील मास्तिश्क के न्यूरोप्लास्टी व्यवहार के कारण सम्भव है। जल्दी एवं सही उपचार से बच्चे को अच्छा गुणवत्तापूर्ण एवं स्वावलम्बी जीवन दिया जा सकता है।

प्रश्न 8 : बचाव के उपाय क्या है ?

उतर: यह सत्य है कि सेरेब्रल पालसी के कुछ बच्चों में बचाव नही किया जा सकता किन्तु जोखिम कारको को कम करके इसकी सम्भावनाओं को कम किया जा सकता है। हम जेनेटिक अथवा अनजान कारणों से नहीं बच सकते हैं , लेकिन गर्भावस्था में डाॅक्टर द्वारा अच्छी जाॅच, षराब, धूम्रपान, गर्भावस्था में विशैली दवाओं के प्रयोग से बचकर, थायाराॅयड का इलाज कर, हाॅस्पिटल में जन्म, एवं नवजात शिशु की अच्छी देखभाल करके कुछ हद तक सेरेब्रल पालसी से बचा जा सकता है।

प्रश्न 9 : सेरेब्रल पालसी के प्रकार उपचार को किस तरह प्रभावित करते हैं ?

उतर: सेरेब्रल पालसी का उपचार उम्र, समस्या और प्रकार पर निर्भर करता है। विभिन्न प्रकार की सेरेब्रल पालसी के लिए अलग-अलग थेरेपी एवं इलाज की जरुरत पड़ती है। हेमीप्लीजिक स्पास्टिक सी0पी0 सबसे आसानी से ठीक होने वाली एवं क्वाडीप्लेजिक सबसे गंभीर होती है। स्पास्टिक सेरेब्रल पालसी में फिजियोथेरैपी और बाटुलिनम टाॅक्सिन की जरुरत पड़ती है, कभी-कभी अॅापरेषन करना पड़ता है लेकिन डिसकाइनेटिक ;क्लेापदमजपब ंदक ंजीमजवपक ब्च् द्ध और एटेक्सिक सेरेब्रल पालसी में आपरेषन की आवष्यकता नहीं होती। इन बच्चों को मांसपेषियों के अंनियन्त्रित गति को सामान्य करने के लिए विषेश प्रकार के कसरत एवं गतिविधियों वाली थेरैपी की जरुरत होती है।

प्रश्न 10 : सेरेब्रल पालसी के उपचार के तौर तरीके क्या है ?

उत्तर: फिजियोथेरैपी, अत्याधुनिक बाल पुर्नवास तकनीक, आकूपेषनल थेरैपी, स्पीच थेरैपी, योग, दिनचर्या की गतिविधियों के लिए प्रषिक्षण, ब्रेस (।थ्व्एथ्त्व्एैडव्), चलने में सहायक यन्त्र, बाटुलिनम टॅाक्सिन इंजेक्षन, अॅापरेषन, इत्यादि इलाज के कुछ तरीके हैं। बच्चों के लिए विषेश प्रकार की विकास आधारित फिजियोथ्ेारपी, हल्के वजन वाले पाॅलीप्राॅइलीन ब्रेस एवं चलने के सहायक उपकरण इत्यादि सेरेब्रल पालसी के उपचार हेतु मुख्य तरीके है। बाटुलिनम टॅाक्सिन एवं अॅापरेषन की जरुरत मांसपेषियों में असामान्य गति कड़ेपन एवं हड्डियों के तिरछे होने पर पड़ती है।

प्रश्न 11 : सेरेब्रल पालसी बच्चों के इलाज में थेरपी पर क्या-क्या विषेश ध्यान देना चाहिए ?

उत्तर: सेरेब्रल पालसी नसों एवं तन्त्रिकाओं के समूह की विषेश परेषानी हैं, इसमें सामान्य कसरत से कोई लाभ तो नही होता परन्तु कई अन्य समस्यायें भी आ जाती हैं। अतः इन सामान्य कसरतों जैसे कि षरीर के जोडों में तेजी से गति देना, हाथ पैरों की अॅगुलियों एवं जोड़ों को घुमाना व चलाना एवं नसो में खिंचाव देने जैसी कसरत से बचना चाहिए । सेरेब्रल पालसी से प्रभावित बच्चों में सामान्य बच्चों की तरह षारीरिक विकास पर प्रभाव डालने वाली क्रियाओं पर विषेश ध्यान दिया जाना चाहिए । इन सभी क्रियाओं में आत्याधुनिक थेरपी की पद्धति, एन0डी0टी0, एस0आई0, योग, ताकत बढाने वाली कसरत सी0आई एम0टी0, दिनचर्या में विशेष प्रषिक्षण खेल-कूद की प्रक्रियायें जैसे प्रगतिषील कसरत से ऐसे बच्चों में विशेष लाभ मिलता है। इन बच्चों में किसी तरह के मषीनी सिकाई से बचना चाहिए।

प्रश्न 12 : सेरेब्रल पालसी में किस प्रकार की थेरैपी सबसे ज्यादा कारगर होती है ?

उत्तर: सेरेब्रल पालसी बच्चों में भिन्न -भिन्न प्रकार से प्रभाव डालती है। जैसे चलने के दोश , दिव्यांगता की गम्भीरता, समस्या का स्तर और सम्बधित चिकित्सीय समस्यायें। इसलिए प्रत्येक बच्चे को अलग-अलग तरह के थेरैपी कार्यक्रम की जरुरत होती है। पारम्परिक थेरैपी जैसे खींचना एवं जोड़ो को घुमाना आदि उपयोगी नहीं होता। आधुनिक थेरैपी तकनीक में न्यूरोडेवलपमेंटल थेरैपी (छक्ज्), सेन्सरी एकाग्रता ;ैप्), दर्पण थेरैपी, योग ब्प्डज्, षक्ति प्रषिक्षण आदि होता है। इन सभी थेरपी के सामूहिक रूप से इस्तेमाल से बच्चों में अच्छे परिणाम देखने को मिलते है।

प्रश्न 13 : छक्ज् का मुख्य सिद्धान्त क्या है ?

उत्तर: यह बच्चों में सामान्य विकास के क्रम पर आधारित है। इसमें हम असामान्य षारीरिक गतिविधियों को रोकते हैं, गति एवं गतिविधियों के सामान्य तरीके को उत्तेजित एवं सुगम करते है। इस तकनीक में असामान्य मांसपंषियों की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं कि इसका इस्तेमाल सामान्य दिनचर्या में किया जा सके।

प्रश्न 14 : किस उम्र तक हमको थेरपी निरन्तर कराते रहना चाहिए ?

उत्तर: जब तक बच्चा पूर्ण प्रषिक्षित एवं दिनचर्या में आत्मनिर्भर न हो जाये थेरपी कराते रहना चाहिए। बड़े बच्चों में मंासपेषियों में ताकत एवं संतुलन बनाये रखने के लिए कसरत कराते रहना चाहिए ।

प्रश्न 15 : क्या मेरा बच्चा कसरत करने के दौरान भी स्कूल जा सकता है ?

उत्तर: हाॅ, कसरत एवं पढाई दोनो ही प्रतिदिन की दिनचर्या का हिस्सा हो सकते है। इससे पूर्ण विकास में मदद मिलती है। पहले वे अपने साथियों से घुलते -मिलते है, इसके बाद वे समाज के तौर तरीकों से जुड़ते हैं इस प्रकार वे बाहरी माहौल से बेहतर सामान्जस्य बैठा पाते है।

प्रश्न 16 : बे्रस और चलने में सहायक यंत्र की क्या उपयोगिता है ?

उत्तर: हाॅ, कसरत एवं पढाई दोनो ही प्रतिदिन की दिनचर्या का हिस्सा हो सकते है। इससे पूर्ण विकास में मदद मिलती है। पहले वे अपने साथियों से घुलते -मिलते है, इसके बाद वे समाज के तौर तरीकों से जुड़ते हैं इस प्रकार वे बाहरी माहौल से बेहतर सामान्जस्य बैठा पाते है।

प्रश्न 17 : ए0फ0ओ0 का कार्य क्या है ?

उत्तर: ए0फ0ओ0 पैर एवं घुटने के जोड़ में संतुलन बनाये रखता है जिससे बच्चा पैरो पर बेहतर नियंत्रण कर लेता है।

प्रश्न 18 : क्या बच्चे को चलने में सहायक यंत्र की जीवन पर्यन्त जरूरत पड़ती है ?

उत्तर: यह बहुत सी बातो पर निर्भर करता है। हमारा मुख्य उद्देष्य इन बच्चो को जितना संभव हो स्वयं चलने वाला बनाना है चाहे वह स्वयं या सहायक यंत्रों द्वारा हो।

प्रश्न 19 : यह सहायक यंत्र क्या व्यक्तित्व पर असर डालते है ?

उत्तर:  इन सहायक यंत्रों का कोई भी उल्टा असर नही है बल्कि इन बच्चों केा समाज में जुड़ने एवं अन्दर बाहर चलने में सुविधा देकर उनके आत्मविष्वास में बढ़ोतरी करते है एवं उनको चोट लगने से बचाते भी है।

प्रश्न 20 : ए0एफ0ओ0 के अलावा किस-किस ब्रेस की जरूरत पड़ती है ?

उत्तर: सेरेब्रल पालसी प्रभावित बच्चों में ए0एफ0ओ0 के अलावा एफ0आर0ओ0, गेटर, एस0एम0ओ0, फूट इन्स्र्ट एवं सुपिनेटर स्पलिन्ट की जरूरत आवष्यकता अनुसार पड़ती है। 

प्रश्न 21 : सेरेब्रल पालसी में बाटुलिनम टॅाक्सिन कब दिया जाता है ?

उतर: स्पास्टिक और मिक्स सेरेब्रल पासली (कलेजवदपब – ेचंेजपब) में जब माॅसपेषियों का कड़ापन अत्यधिक हो तब बाटुलिनम टाॅक्सिन इंजेक्षन दिया जाता है। यह कम उम्र के बच्चों (2 से 7 साल) में ज्यादा लाभकारी होता है।

प्रश्न 22 : क्या बाटुलिनम टाॅक्सिन लगाने से हमेषा के लिए लाभ हो जाता है ?

उत्तरः नही, यह कुछ समय तक के लिए सख्तपन से छुटकारा दिलाता है जिससे कसरत कराने में आसानी हो जाती है। यह केवल थेरपी के लिए सहायक है एवं आपरेषन को कुछ उम्र तक टालने में भी सहायक है। इन्जेक्शन के उपरांत प्लास्टर, अच्छी थेरपी एवं ब्रेस के सही इस्तेमाल से इसका समय एवं प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 23 : क्या यह खर्च के अनुसार कारगर है ?

उत्तरः हाॅ, छोटे बच्चो में यह बहुत कारगर है।

प्रश्न 24 : इन्जेक्षन के बाद कितनी कसरत की जरूरत पड़ती है ?

उत्तरः बाटुलिनम टॅाक्सिन इन्जेक्षन के बाद अच्छा सुधार पाने के लिए लगातार थेरैपी अनिवार्य है। इससे इन्जेक्षन का असर भी काफी दिनो तक बढाया जा सकता है।अच्छे परिणाम के लिये कम से कम 30 मिनट की कसरत दिन में दो से तीन बार, सप्ताह में 6 दिन जरूरी है। जब तक बच्चे में अच्छी कार्यक्षमता न आ जाये लगातार थेरैपी जरूरी है। इसके बाद उसको बनाये रखने के लिए थेरैपी जारी रखनी चाहिए ।

प्रश्न 25 : क्या बाटुलिनिम टाॅक्सिन इन्जेक्षन दोबारा लगाने की जरूरत पड़ती है ?

उत्तरः बाटुलिनम टॅाक्सिन इन्जेक्षन का असर 4-5 महीने तक रहता है। किन्तु प्लास्टर लगाने एवं अच्छे कसरत से उसके असर की अवधि बढ़ाई जा सकती है। दुबारा इंजेक्षन की जरूरत ज्यादा स्पास्टिसिटी में पड़ती है, वह भी 1 साल बाद कभी-कभी दूसरे इन्जेक्षन की जरूरत ही नहीं पड़ती ।

प्रश्न 26 : सेरेब्रल पालसी में आर्थोपेडिक सर्जरी कब की जाती है ?

उत्तरः आर्थोपेडिक सर्जरी की जरूरत जोड़ों की स्थाई विकृति, माॅसपेषियों की सिकुड़न, असंतुलन, हड्डियों के मुड़ जाने में और कमजोर मासपेषियाॅ होने पर पड़ती है। इसकी जरूरत केवल स्पास्टिक एवं मिक्स सेरेब्रल पालसी में पड़ती है।

प्रश्न 27 : सेरेब्रल पालसी में हम आॅपरेषन का निर्णय कैसे लेते हैं ?

उत्तरः आॅपरेषन केवल वहीं किया जाता है जहाॅ जोड़ों की विकृति स्थायी हो जाती है, माॅसपेषियों में सिकुड़न, हड्डियों के घुमाव व तिरछापन आ जायें और मासपेषियॅा कमजोर हो और केवल कसरत से समस्या ठीक नहीं हो सकती है। यहाॅ तक कि कसरत षुरू भी नहीं हो पाती है। आपरेषन की जरूरत केवल स्पाटिक व मिक्स सेरेब्रल पालसी में पड़ती है। हम आॅपरेषन का निर्णय पूरी जाॅच, चलने के तरीके का विष्लेशण, आॅपरेषन के तुरंत पहले बेहोषी की अवस्था में करके लेते हैं। मांसपेषियो में कमजोरी एवं समुचित षारीरिक विकास न होने पर पहले कुछ महीने कसरत कर मांसपषियो में मजबूती एवं षारीरिक विकास में गति दी जाती है तद्उपरांत सर्जरी के बारे में निर्णय लिया जाता है।

प्रश्न 28 : अॅापरेषन के लिए सही उम्र क्या है ?

उत्तरः आॅपरेषन केवल 6 साल की उम्र के बाद ही किया जाता है जब चलने फिरने का तरीका स्थाई हो जाता है। परन्तु कुछ परिस्थितियों में जैसे सिकुड़न का बनना, विकृति, एवं कूल्हे के जोड़ का खिसकना में हम आॅपरेषन जल्दी भी कर सकते हैं। ज्यादा तर आॅपरेषन 7 से 10 साल की उम्र में पहली बार और 14 से 16 साल की उम्र में पूर्ण सुधार के लिये करना चाहिये होता है।

प्रश्न 29 : सेरेब्रल पालसी में आर्थोपेडिक तरीका क्या है ?

उत्तरः 1. टेनाटोमीः सिकुड़न को दूर करने के लिए टेन्डन को काटना। अब बहुत ही कम करते है इससे मोसपेषियों में कमजोरी आ जाती है।
2. टेन्डन को बढाना: एक निष्चित लम्बाई तक टेन्डन को बढाना काटने के अपेक्षा अधिक वरीयता दी जाती है। परन्तु इसका भी उपयोग आजकल कुछ ही जगहो पर किया जाता है।
3. आर्थोडेसिस ज्वाइन्ट: जोड़ को स्थाइत्व प्रदान करने के लिए उसे आपस में मिला देना। इस प्रक्रिया में जोडो की गति को खत्म कर दिया जाता है ।
4 मायोफेसियल रिलीज: मांसपेषियों की उपरी सतह को ढीला करना। सख्त हुयी मंासपेषियो को इस पद्धति से आपरेषन करने पर कमजोरी आने की आषंका बहुत कम होती है इस लिए जरूरत पड़ने पर इस पद्धति को ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
5. टेन्डन ट्रान्सफर: मांसपषियो को दूसरी जगह पर प्रत्यास्थापित करना- कमजोर मांसपेषियों के कार्य को टेन्डन ट्रान्सफर करके कराना।
6. आस्टियोटाॅमी: हड्डियो में काट-छाट कर हड्डियो के घुमाव के दोश और जोड़ो के दोश को सही करना । इस आपरेषन से कुछ ही महीनो में हड्डिया वापस जुड़ कर अपनी पूरी ताकत में आ जाती है एवं मांसपषियों में किसी तरह की कमजोरी आने की संभावना न के बराबर होती है।
प्रथम तीनो तकनीक सामान्य आर्थोपेडिक सर्जरी का एक हिस्सा है जिनका उपयोग बहुत समय से किया जा रहा था परन्तु आजकल इन तकनीको का उपयोग सेरेब्रल पालसी के इलाज में बहुत कम किया जाता है। इन तीनो तकनीको से आॅपरेषन करने पर कुछ बच्चों में परेषानी भी आ जाती है। आखिरी की तीनो तकनीक का उपयोग आज कल ज्यादा किया जाता है इन तीनो तकनीको से सेरेब्रल पालसी से प्रभावित बच्चों में बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो रहा है और ऐसे बच्चों में किसी तरह के नुकसान के आसार बहुत कम रहते हंै।

प्रश्न 30 : सेरेब्रल पालसी में आॅपरेषन की नवीनतम तकनीक क्या है ?

उत्तरः पिछले एक युग में बहुत सारे नये वैज्ञानिक तरीके आये, जिसकी वजह से इलाज व उसकी तकनीक में बहुत से बदलाव हुये है।
सिंगल इवेन्ट मल्टीलेवल आर्थोपेडिक सर्जिकल इन्टरवेन्सन (सिमलाॅस) वत ैम्डस्ै के द्वारा अधिक से अधिक षारीरिक विकृति दोश को एक बार के आपरेषन में ठीक करते हैं। सिमलाॅस का मतलब यह नहीं है कि बच्चे को भविश्य में अॅापरेषन की जरूरत नही पडे़गी किन्तु यह अधिक उम्र हो जाने पर भी पड़ती हैं।

सेरेब्रल पालसी में माॅसपेषियां कमजोर होती हैं इसलिये आजकल माॅसपेषियों पर आॅपरेषन कम से कम किया जाता है। हड्डी एवं जोड़ की विकृति ;समअमत ंतउ चतवइसमउद्ध से मासॅसपेषियां बुरी स्थिति में आकर ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। इसलिसे आजकल मांसपेषियों पर आॅपरेषन न करके, हड्डियों के तिरछापन एवं विकृतियों को ठीक करने के लिए हड्डियों पर आॅपरेषन किया जाता है। इससे मांसपेषियों में किसी तरह की कमजोरी नही आती है यदि माॅसपेषियों पर आॅपरेषन की जरूरत भी पड़ती है तो केवल इसकी सतह की झिल्ली को हटाकर किया जाता है।

टेन्डन ट्रान्सफर द्वारा कमजोर मांसपेषियों को बदलकर के मजबूत किया जाता है। आजकल सख्त मांसपेषियों को काटने के बजाय दूसरी जगह प्रत्यास्थापित कर दिया जाता है जिससे मांसपेषियों की ताकत बनी रह जाती है ।

पूरे ऑपरेशन की योजना को बार-बार षारीरिक परीक्षण , चलने के तरीके का अवलोकन एवं अॅापरेषन के दौरान आकलन को ध्यान रखते हुये बनाया जाता है। कभी-कभी आॅपरेषन के दौरान आकलन से अॅापरेषन की योजना में बदलाव करना जरूरी होता है।

प्रश्न 31 : आॅपरेषन के बाद फिजियोथेरैपी का क्या योगदान है ?

उत्तर: सर्जरी द्वारा मात्र षारीरिक विकृति को सही किया जाता है। कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए फिजियोथेरैपी जरूरी है। पहले कुछ महीने तक निरन्तर एवं प्रतिदिन निष्चित अवधि के लिए और बाद में षारीरिक क्षमता को बनाये रखने के लिए कसरत एवं योगा की जरूरत पड़ती है।

प्रश्न 32 : सेरेब्रल पालसी में प्रोगनोसिस ठीक होने की संभावनाद्ध क्या है ?

उत्तर: प्रोगनोसिस बहुत सारे तथ्यों पर आधारित है, जैसे मश्तिक में क्षति की स्थिति, सेरेब्रल पालसी का प्रकार, अन्य संबन्धित समास्याये, उपचार के षुरूवात की उम्र , उपचार का स्तर , अभिभावकों का योगदान व पुर्नवास कार्यक्रम की निरन्तरता । यदि बच्चा अच्छी थेरेपी के बावजूद एक साल तक की उम्र तक गर्दन नही रोक पाता है तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बच्चे का मश्तिक अधिक क्षतिग्रस्त है और भविश्य में वह बच्चा चल नहीं पायेगा।

प्रश्न 33 : सेरेब्रल पालसी बच्चे के जीवन जीने के गुणवत्ता का स्तर क्या है ?

उत्तर: जीवन की गुणवत्ता एवं उनके जीवन जीने की अवधि सामान्य जन जैसी होती है यदि वे बिना किसी सहायता या चलने वाले उपकरण ;छड़ी एवं एल्बो वैशाखीद्ध की सहायता से चल सकते हंै। वे समाज के सक्रिय एवं उत्पादक सदस्य हो सकते है, वे नौकरी कर सकते है, आत्मनिर्भर हो सकते है,षादी कर बच्चे पैदा कर सकते है और रिटायर हो सकते है। वे उनको दिये गये कार्य को अपेक्षाकृत उत्कृश्ट ढंग से कर सकते है। कुछ अधिक दिव्यांगता वाले बच्चे को भी आधुनिक चिकित्सा एव नवीनतम पुर्नवास कार्यक्रम के द्वारा बेहतर गुणवत्ता का जीवन दिया जा सकता है।

प्रश्न 34 : सेरेब्रल पालसी से प्रभावित बच्चांे को सुखी जीवन देने में षारीरिक गतिविधियों का क्या महत्व है ?

उत्तर: सेरेब्रल पालसी में षारीरिक समस्याओं का आधार- मांसपेषियों में कमजोरी, सामंजस्य की कमी, मांसपेषियों का आसामान्य क्रियाषीलता , संतुलन की कमी, गति पर विषेश नियंत्रण और मानसिक अनुभूति से जुड़ा है। इनमें से बहुत सी समस्यायें जीवन पर्यन्त रहती हैं। मंासपेषियों में सख्तपन एव थकान, बढ़ती उम्र एवं वजन के साथ बढ़ती जाती है। इसलिए आवष्यक है कि वजन को नियन्त्रित रखे एवं उम्र के अनुसार आवष्यक फिजियोथेरेपी कराते रहंे। एक बार बच्चा अच्छी षारीरिक विकास एवं चलने फिरने की षक्ति हासिल कर ले तो बाद में जिम और योग से इनको बहुत मदद मिलती हैं।

प्रश्न 35 : सेरेब्रल पालसी के प्रब्रन्धन में सम्बंधित समस्याओं का उपचार क्यों महत्वपूर्ण है ?

उत्तर: जीवन जीने की गुणवत्ता एवं लम्बी उम्र के लिए सम्बधित चिकित्सीय समस्यायों का निर्णायक महत्व होता है। इसलिए सभी मुख्य सम्बधित चिकित्सीय समस्याओं का उपचार षारीरिक दिव्यांगता के उपचार के साथ आवष्यक है। सेरेब्रल पालसी बच्चों में गंम्भीर बार-बार अस्पताल में भर्ती होना इन्ही समस्याओं के कारण होता है न कि सेरेब्रल पालसी के कारण।

प्रश्न 36 : बाह्रय वातावरण इन बच्चों पर क्या प्रभाव डालता है ?

उत्तर: बाह्रय वातावरण इन बच्चों के लिए बहुत असरकारी है। इससे इनका व्यक्तित्व एवं सम्पूर्ण विकास पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 37 : दूसरे बच्चों से मिलना जुलना मेरे बच्चे को कैसे प्रभावित करता है ?

उत्तर: यह सिद्व तथ्य है कि अन्य बच्चों से मिलना जुलना, समाज एवं स्कूल का वातावरण इन बच्चों के पूर्ण विकास में बहुत ही सहायक होता है।

प्रश्न 38 : यदि एक बच्चा सेरेब्रल पालसी से प्रभावित है तो क्या हमें दूसरा बच्चा पैदा करना चाहिए ?

उत्तर: हाॅ, यदि इस बच्चे को कोइ अनुवांषिक समस्या नहीं है और इसकी कोई उम्मीद भी नही है , तो दूसरा बच्चा होना इस बच्चे के विकास में बहुत मददगार होगा।

प्रश्न 39 : विषेश षिक्षा मेरे बच्चे की कैसे सहायता करती है ?

उत्तर: विषेश षिक्षा द्वारा इन बच्चो को हाथ के उपयुक्त इस्तेमाल का तरीका सिखाती है और स्कूल जाने के लिए तैयार करती है।

प्रश्न 40 : क्या सी0पी0 बच्चे सामान्य स्कूल में दाखिला ले सकते है ?

उत्तर: हाॅ, कोई भी स्कूल इनके प्रवेष को मना नही कर सकता है बषर्ते कि बच्चा इसके लिए तैयार हो।

प्रश्न 41 : इन बच्चों के उपचार का मुख्य उदेष्य क्या है ?

उत्तर: हमारा उद्देश्य इनकी दिव्यांगता को कम कर के अच्छी गुणवत्ता का जीवन देना है। जिससे वे समाज की मुख्य धारा में जुड़ सकें और अपनी पूरी क्षमता के साथ षारीरिक एव कार्य क्षमता का उपयोग कर सके।

प्रश्न 42 : क्या कोई इलेक्ट्रोमैगनेटिक ;उनेबसम ेजपउनसंजवतद्ध तकनीक मेरे बच्चे को पूर्ण ठीक कर सकती है ?

उत्तरः नही। वे आपके बच्चे को मांसपेषियों में ताकत पाने में मदद कर सकते है। यह तकनीक फिजियोथेरेपी में मददगार है।

प्रश्न 43 : मेरे बच्चे पर एक्यूपन्चर, एक्यूपेषर , नेचुरोपैथी , होमीयोपैथी , आर्युवेदिक अथवा ऐलोपेथिक दवाओं का क्या असर होगा?

उत्तर: इन सब की बहुत सीमित भूमिका है वह भी संबन्धित समास्याओं के उपचार में ।

प्रश्न 44 : सेरेब्रल पालसी में मालिष का क्या महत्व है ?

उत्तर: हाइपोटोनिक सेरेब्रल पालसी को छोड़कर बाकी सभी तरीको के सेरेब्रल पालसी में तेज एवं अधिक दबाव वाली मालिष की मनाही है।

प्रश्न 45 : क्या स्टेमसेल सेरेब्रल पालसी से निजात दिला सकती है ?

उत्तर: नही, अभी तक यह वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध नही हो पाया है । यह अभी भी षोध का विशय है। अन्र्ताराश्ट्रीय एथारटी ने क्लीनिकल प्रैक्टिस में अभी तक स्टेमसेल के इस्तेमाल को मान्यता नही दी है।

प्रश्न 46 : बच्चे के षारीरिक क्षमता का विकास किस तरह उसके गतिविधियो को प्रभावित करता है ?

उत्तर: यह अनुभव किया गया है कि षारीरिक क्षमता के विकास का बच्चें के सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर आष्चर्य जनक प्रभाव पड़ता है |

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DR. Jitendra Kumar Jain

Dr. Jitendra Kumar Jain is a renowned name in the field of childhood physical disability & orthopedics problems in North India. He has been an MS Orthopedics, DNB Orthopedics, Pediatric orthopedic surgeon & cerebral palsy specialist for over 21 years.

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Dr. Jitendra Kumar Jain is a renowned name in the field of childhood physical disability & orthopedics problems in North India. He has been an MS Orthopedics, DNB Orthopedics, Pediatric orthopedic surgeon & cerebral palsy specialist for over 21 years.

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